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दिवाली से पहले हो सकता है योगी मंत्रिमंडल का विस्तार, कल होगी अहम बैठक

दिवाली से पहले हो सकता है योगी मंत्रिमंडल का विस्तार, कल होगी अहम बैठक

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एक तरफ जहां योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर गठबंधन पर विचार करने की चुनौती दे रहे हैं. वहीं, ये कयास लगाए जा रहे हैं कि योगी मंत्रिमंडल का पहला विस्तार दीपावली से पहले हो सकता है. जानकारी के मुताबिक, हाल ही में बीजेपी, सरकार और आरएसएस की लखनऊ में हुई बैठक में भी मंत्रिमंडल में फरबदल के संकेत दिए गए थे. इसके बाद ही योगी सरकार में कैबिनेट के विस्तार की खबरें तेज हुई.

सूत्रों के मुताबिक, दीपावली से पहले करीब 6 से 13 विधायक मंत्रीपद की शपथ ले सकते हैं. कुछ दिन पहले लखनऊ में हुई एक बड़ी बैठक में बीजेपी के अध्यक्ष ने मंत्रियों के कामकाज पर असंतोष जतायास जिसके बाद ये कयास लगाए जा रहे हैं कि कुछ मंत्रियों का कद बढ़ाया और कुछ का घटाया जा सकता है. सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी आलाकमान ने सीएम योगी आदित्यनाथ को मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार के लिए हरी झंडी दे दी है. बताया जा रहा है मंत्रिमंडल का ये विस्तार अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा.

लखनऊ में 29 अक्टूबर को संगठन और सरकार की होने वाली बैठक भी मंत्रिमंडल विस्तार के लिहाज से महत्वपूर्ण होगी. ये वक्त मंत्रिमंडल विस्तार के लिए उपयुक्त है, क्योंकि दिसंबर से लोकसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ चुकी होगी और तब विस्तार या फेरबदल संभव नहीं होगा. योगी सरकार को करीब 19 महीने हो गए हैं. वहीं, बीते 6 महीने से विस्तार के कयास लगाए जा रहे हैं. ऐसे मंत्री जिनके कामकाज को लेकर विवाद रहा है और जो मंत्री बनने के बाद भी प्रदेश में सरकार के अनुरुप काम नहीं कर रहे हैं, ये कयास लगाए जा रहे हैं कि उनके पद को घटाया जा सरता है. इसके साथ ही सरकार के कई विभागों के पुनर्गठन का काम चल रहा है। इसी के साथ कुछ मंत्रियों की जिम्मेदारी बढ़ाई जा सकती है.

योगी मंत्रिमंडल में अभी कुल 47 मंत्री हैं. उनमें सीएम, दो डिप्टी सीएम, 22 कैबिनेट मंत्री, 9 स्वतंत्र प्रभार के मंत्री और 13 राज्यमंत्री हैं. नियमानुसार यूपी मंत्रिमंडल में कुल 60 मंत्री हो सकते हैं. इस हिसाब से कुल 13 नए मंत्रियों के लिए जगह अभी बाकी है. तो ये कयास लगाए जा रहे हैं कि 6-13 विधायकों का पद बढ़ सकता है.

सूत्रों की मानें तो इसमें राजनीतिक, जातीय और भौगोलिक बैलेंस बनाने की कोशिश होगी. दलित और ओबीसी समाज को वरीयता मिलेगी. इसके बाद सवर्ण नेताओं का नंबर होगा. सरकार के सामने पूर्वी और पश्चिमी यूपी में सामंजस्य बनाने की भी चुनौती है

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