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एटीएम में छेड़छाड़ कर करोड़ों उड़ाने वाले दो जालसाजों को एसटीएफ ने दबोचा

एटीएम में छेड़छाड़ कर करोड़ों उड़ाने वाले दो जालसाजों को एसटीएफ ने दबोचा

बहराइच में बैंक ऑफ बड़ौदा की...Editor

बहराइच में बैंक ऑफ बड़ौदा की एटीएम मशीनों में तकनीकी छेड़छाड़ कर लाखों रुपये चोरी करने वाले गिरोह के दो सदस्यों को एसटीएफ ने बीती रात राजधानी में पॉलीटेक्निक तिराहे से गिरफ्तार कर लिया। दोनों एटीएम में कैश अपलोड करने वाली कंपनी सिक्योर वैल्यू इंडिया लिमिटेड में कस्टोडियन हैं। बहराइच में बैंक ऑफ बड़ौदा के एटीएम में कैश डालने का काम यही कंपनी करती थी।

एसटीएफ के एसएसपी अभिषेक सिंह ने बताया कि विभूतिखंड, गोमतीनगर स्थित इस कंपनी के शाखा प्रबंधक आशीष मिश्रा ने एसटीएफ को सूचना दी थी कि बहराइच में बैंक ऑफ बड़ौ़दा के एटीएम के सॉफ्टवेयर में छेड़खानी कर कम्पनी के दो कस्टोडियनों ने 35 लाख रुपये निकाल लिए।

एसटीएफ के साइबर थाना में इसका मुकदमा दर्ज कराया गया था। एसटीएफ के डिप्टी एसपी प्रमेश कुमार शुक्ला को जांच सौंपी गई थी। जिन्होंने आशीष व अंकुर को देर शाम फैजाबाद रोड पर पॉलीटेक्निक तिराहे से दोनों को गिरफ्तार कर लिया। इनके कब्जे से 25.52 लाख रुपये बरामद हुए।

पूछताछ पर दोनों ने बताया कि लगभग एक वर्ष से इस कंपनी में काम कर रहे थे। कंपनी के पास एटीएम मशीनों में कैश अपलोड करने का सीधा टेंडर नहीं हैं बल्कि, वह एजीएस ट्रांजेक्ट टेक्नोलॉजी नाम की दूसरी कंपनी के माध्यम से काम करती है।

सिक्योर वैल्यू इंडिया लिमिटेड को एजीएस मेल भेजकर बताती है कि किस तिथि को बैंक के करेंसी चेस्ट से कस्टोडियन द्वारा कितना पैसा निकाल कौन-कौन से एटीएम में डालना है।

धोखे से हासिल किया एटीएम खोलने का पासवर्ड

आरोपियों ने बताया कि एटीएम की देखरेख का जिम्मा एनसीआर कंपनी के फैजल खान के पास है। उसके पास एटीएम मशीन को खोलने का यूजर नेम व पासवर्ड भी है। हमने वह यूजर नेम और पासवर्ड हासिल कर लिया। एटीएम मशीन में किसी भी प्रकार का की-बोर्ड, यूएसबी डिवाइस या पेन ड्राइव कनेक्ट करना नियम विरुद्ध है।

एटीएम में अक्सर खराबी के कारण फैजल खां ने उन्हें यूजर आईडी व पासवर्ड दे दिया था। जिससे छोटी-मोटी खराबी वह लोग ठीक कर देते थे। इसी यूजर आईडी व पासवर्ड के जरिए। एटीएम का डाटा पेन ड्राइव में कॉपी कर लिया। ट्रांजेक्शन रिकॉर्ड में गड़बड़ी कर उसकी रकम बढ़ा दी गई।

मसलन एटीएम से पचास हजार रुपये निकाले गये तो उस राशि को एडिट कर पांच लाख कर दिया जाता था। बाकी की राशि यह लोग निकाल लेते थे। पेन ड्राइव में कॉपी किया गया रिकॉर्ड किसी अन्य माध्यम से कंपनी को भेज दिया जाता था। जिसे कंपनी बैंक को भेज देती थी।

ऐसे पकड़ी गई हेराफेरी

एसटीएफ अफसरों ने बताया कि चूंकि इजे लॉग (इलेक्ट्रानिक जनरल) में की गयी किसी प्रकार की एडिटिंग को सेव किया जाना संभव नहीं है, इस कारण बैंक के डेटाबेस को वास्तविक डेटा ही दिखा। कंपनी द्वारा बैंक को भेजी गयी काउंटर स्लिप व बैंक के डेटाबेस में ईजे लॉग में अंकित ट्रांजेक्शन में तालमेल न होने के कारण चोरी पकड़ी गई। इसे लेकर बैंक ने बाकी की राशि जमा करने के लिए कंपनी को निर्देशित किया। दोनों आरोपियों ने बताया कि अब तक वे एटीएम मशीनों से करोड़ों की चोरी कर चुके हैं।

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