भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो बागी होंगे पूर्व दस्यु मलखान, कभी इस नाम से थर्राता था चंबल

भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो बागी होंगे पूर्व दस्यु मलखान, कभी इस नाम से थर्राता था चंबल
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चंबल का शेर कहे जाते रहे पूर्व दस्यु सरगना मलखान सिंह अब स्वजातीय खंगार समाज के लिए खुलकर मैदान में हैं। भाजपा से जुड़े मलखान ने कहा है कि लोकसभा चुनाव में प्रदेश की दो संसदीय सीटों बांदा और सीतापुर (मिश्रिख) खंगार समाज को न दी गईं तो वे प्रदेश के 55 लाख स्वजातीयों के साथ खुद भाजपा से बगावत करेंगे। जो भी दल खंगार समाज को दो सीट देगा, उसका समर्थन करेंगे। यह भी कहा कि वे कांग्रेस का झंडा थाम सकते हैं।

रविवार को खंगार समाज के परिचय सम्मेलन में बांदा आए पूर्व दस्यु सरगना मलखान लाव-लश्कर के साथ अमर उजाला कार्यालय भी आए। बातचीत में कहा कि उत्तर प्रदेश में 55 लाख से ज्यादा खंगार समाज के लोग हैं। कभी भी किसी प्रमुख दल ने उन्हें लोकसभा या विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया। सिर्फ वोट लेते रहे।

चंबल का डरावना नाम था मलखान

इस बार वे भाजपा से दो टिकट मांग रहे हैं। नहीं दिया तो समाज के साथ बगावत करेंगे। वे कांग्रेस का झंडा भी थाम सकते हैं। मलखान का कहना था कि वे देश के बागी नहीं हैं। गांव में हुए अन्याय पर बागी बने थे। चंबल का पानी पीकर उनका भय खत्म हो गया। अन्याय के खिलाफ भगवान भी उनका साथ देता था।

1980 के दशक में मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के समक्ष साथियों समेत सरेंडर करने वाले मलखान सिंह उस जमाने का सबसे डरावना नाम था। छह फीट लंबे दस्यु सरगना के कंधे पर राइफल और हाथ में हेली लाउडस्पीकर होता था। मलखान पर 32 पुलिस कर्मियों सहित 185 हत्याओं का आरोप था। सरेंडर के बाद भूदान आंदोलन में रहने-बसने के लिए जमीन दी गई। मलखान ने बताया कि वे अधिकांश समय गांव (भिंड) के मंदिर में पूजापाठ और समाजसेवा में बिता रहे हैं।

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