प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बागपत पहुंचे, देंगे 11,000 करोड़ का तोहफा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनसभा को संबोधित करने के साथ ही देश को नायाब तोहफा देने के लिए बागपत पहुंच गए हैं। मेरठ ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस वे के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी तथा उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी हैं।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के निजामुद्दीन-यूपी बार्डर खंड पर कार से रोड शो किया। उन्होंने 11,000 करोड़ रुपये की लागत से तैयार देश के पहले स्मार्ट और ग्रीन हाईवे ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे (ईपीई) का उद्घाटन किया। कुल 135 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेस वे पर 11,000 करोड़ रुपये की लागत आई है। यह देश का पहला हाईवे है, जहां सौर बिजली से सड़क रोशन होगी। इसमें 36 राष्ट्रीय स्मारकों को प्रदर्शित किया जाएगा और 40 झरने होंगे। इसे रिकार्ड 500 दिनों में पूरा किया गया है। प्रधानमंत्री निजामुद्दीन-रिंग रोड जंक्शन से पटपडग़ंज पुल तक के हिस्से का कार से मुआयना किया। वहां से वापस लौटने के बाद वह तत्काल हेलीकाप्टर से बागपत पहुंचे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सरकार के चार वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के एक दिन बाद यानी आज देश को बड़ा तोहफा दिया। बागपत के खेकड़ा कस्बे में पीएम मोदी 11,000 करोड़ रुपये की लागत बन रहे देश के पहले स्मार्ट- हरित राजमार्ग 'ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे' (ईपीई) का उद्घाटन किया।
उनके साथ केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, सत्यपाल सिंह, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, हरियाण के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सहित केंद्र व योगी आदित्यनाथ सरकार के कई कैबिनेट मंत्री हैं। इससे पहले आज करीब 8:30 बजे ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे को एसपीजी ने अपने कब्जे में ले लिया।
पीएम नरेंद्र मोदी 1.05 बजे वापस कुंडली पहुंचेंगे और यहां से 1.15 बजे हेलीकॉप्टर से वापस जाएंगे। इस एक्सप्रेस वे से दिल्ली-एनसीआर में शामिल उत्तर प्रदेश के बागपत, गाजियाबाद व गौतमबुद्धनगर तथा हरियाणा के सोनीपत, फरीदाबाद व पलवल जनपद जुड़े हैं। ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस वे 135 किमी लंबा है। इस पर मल्टीपल एंट्री व एग्जिट प्वाइंट बनाए गए हैं।
इसमें सात इंटरचेंज हैं। 11000 करोड़ रुपये की लागत से बने इस एक्सप्रेस वे के निर्माण की अधिसूचना 2006 में जारी हुई। मुआवजे के पेंच में यह निर्माण प्रारंभ नहीं हो सका। केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद इसका निर्माण तेजी से शुरू हुआ।
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इस एक्सप्रेस वे पर अधिकतम स्पीड 120 किमी प्रति घंटा रखी गई है। इस एक्सप्रेस वे से दिल्ली में रोज करीब 52 हजार वाहनों का भार कम होगा। ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे पलवल से कुंडली तक है।
पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन समारोह बागपत के मवीकलां स्टेडियम में होगा। यह देश का पहला राजमार्ग है जहां सौर बिजली से सड़क रोशन होगी। इसके अलावा प्रत्येक 500 मीटर पर दोनों तरफ वर्षा जल संचय की व्यवस्था होगी। एक्सप्रेसवे पर 8 सौर संयंत्र हैं जिनकी क्षमता 4 मेगावाट है। इसे रिकॉर्ड 500 दिन में पूरा किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस परियोजना के लिये आधारशिला पांच नवंबर, 2015 को रखी थी। यह देश का पहला एक्सिस कंट्रोल हाईवे है और वाहनों को उनकी यात्रा के बराबर टोल चुकाना होगा। इस हाईवे के शुरू होने से दिल्ली पर पडऩे वाला वाहनों का बोझ कम हो जाएगा, जिससे राजधानी की एयर क्वालिटी में भी सुधार होगा।
हाईवे कुंडली, मवीकलां (एनएच-57), दुहाई (एनएच-58), डासना (एनएच-24), बील अकबलपुर (एनएच-91) को जोड़ते हुए कासना-सिकंदरा, फैजपुर खादर से होते हुए हरियाणा के पलवल से जुड़ेगा। ईस्टर्न एक्सप्रेसवे पर टोल टैक्स लगेगा। मगर अभी तक दर तय नहीं हुई है। शुरुआती दिनों में एक्सप्रेसवे टोल टैक्स मुक्त रहेगा। इस एक्सप्रेसवे पर हाईवे की अपेक्षा सवा गुना दर रहेंगी। हर एंट्री प्वॉइंट पर चालक को पर्ची मिलेगी।
ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे की खासियत
- 135 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेस-वे गाजियाबाद, फरीदाबाद, पलवल और ग्रेटर नोएडा के बीच सिग्नल फ्री कनेक्टिविटी को मजबूत करेगा।
- इस एक्सप्रेस-वे पर लाइटिंग की पूरी सुविधा सोलर पैनल के जरिए की जाएगी। यही नहीं इसका दृश्य भी बेहद सुंदर होगा। इस एक्सप्रेस-वे के किनारों पर तकरीबन 2.5 लाख पेड़ लगाए जाएंगे।
- अब तक उत्तर प्रदेश से हरियाणा और हरियाणा से उत्तर प्रदेश जाने वाले तकरीबन दो लाख वाहन प्रतिदिन दिल्ली से होकर सफर करते थे। इसके शुरू होने पर वाहन दिल्ली को बाईपास कर निकलेंगे, जिससे प्रदूषण में कमी आएगी।
- नेशनल एक्सप्रेस-वे 2 कहे जाने वाले इस मार्ग पर पेट्रोल पंप, रेस्ट एरिया, होटल, रेस्तरां, दुकानों और रिपेयर सर्विसेज की सुविधा उपलब्ध रहेगी।
- हर 500 मीटर की दूरी पर रेनवॉटर हार्वेस्टिंग की भी व्यवस्था होगी। ड्रिप इरिगेशन की तकनीक के चलते इस पानी से ही पेड़ों की सिंचाई भी होगी।
- स्वच्छ भारत मिशन को ध्यान में रखते हुए हर 2.5 किलोमीटर की दूरी पर टॉयलेट्स बनाए गए हैं। पूरे मार्ग पर 6 इंटरचेंज, 4 फ्लाईओवर, 71 अंडरपास और 6 आरओबी हैं। इसके अलावा यमुना और हिंडन पर दो बड़े पुल हैं