UP में SP, BSP और कांग्रेस की चुनौती से निपटने के लिए BJP का इन 130 सीटों का गेमप्लान

2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर यूपी में सपा, बसपा, कांग्रेस और रालोद की बढ़ती जुगलबंदी के बीच राजनीतिक विश्लेषक अनुमान लगा रहे हैं कि बदलती परिस्थितियों में बीजेपी के लिए पिछले बार जैसा प्रदर्शन दोहराना आसान नहीं होगा. 2014 लोकसभा चुनाव में राज्य की 80 लोकसभा सीटों में से बीजेपी ने सहयोगी अपना दल के साथ 73 सीटें जीती थीं. हालांकि बीजेपी यह दावा कर रही है कि यूपी में विपक्षी एकजुटता के बावजूद उसको नुकसान नहीं होगा लेकिन इसके साथ ही संभावित नुकसान की स्थिति में पार्टी ने उन क्षेत्रों की तरफ फोकस करना शुरू कर दिया है जहां पिछली बार बीजेपी को ज्यादा सफलता नहीं मिली है.
इस कड़ी में द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी ने पांच दक्षिणी राज्यों आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल एवं केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी की कुल 130 सीटों पर निगाहें जमा दी हैं. रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी ने इन राज्यों में व्यवहारिक नीति को अपनाते हुए गठबंधन साथियों की तलाश शुरू कर दी है. दरअसल 2014 के आम चुनाव में बीजेपी को इन राज्यों की 130 सीटों में से केवल 20 पर ही कामयाबी मिली थी. दूसरी बात यह है कि कांग्रेस की इन राज्यों में स्थिति बहुत बेहतर नहीं है. इन परिस्थितयों के मद्देनजर बीजेपी इस बार इन जगहों पर अपने लिए बड़ी संभावनाएं देख रही है.
आंध प्रदेश
आंध्र प्रदेश में अभी तक तेलुगु देसम पार्टी (टीडीपी), बीजेपी के साथ थी लेकिन राज्य के विशेष राज्य के दर्जे के मुद्दे पर उसने केंद्र का साथ छोड़ दिया. राज्य में विपक्षी वाईएसआर कांग्रेस भी इस मुद्दे पर केंद्र के खिलाफ हमलावर रुख अपनाए हुए है. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि यहां के छोटे क्षेत्रीय दलों के साथ बीजेपी गठबंधन कर सकती है.
कर्नाटक
कर्नाटक राज्य विधानसभा चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बावजूद पार्टी बहुमत लायक आंकड़े नहीं जुटा सकी. लिहाजा पार्टी को विपक्ष में बैठना पड़ा और कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार सत्ता में आ गई. लेकिन इस गठबंधन सरकार में चल रही अंदरूनी खींचतान को बीजेपी लोकसभा चुनावों में अपने लिए फायदेमंद मान रही है. पिछले बार भी बीजेपी को कर्नाटक में सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें मिली थीं.
तमिलनाडु
डीएमके प्रमुख एम करुणानिधि और अन्नाडीएमके प्रमुख जयललिता के निधन के बाद दोनों ही प्रमुख क्षेत्रीय दल कमजोर पड़े हैं. रजनीकांत और कमल हासन जैसे अभिनेता सियासी सीन में उभर रहे हैं. इन बदलती परिस्थितियों में राज्य की 39 लोकसभा सीटों के मद्देनजर बीजेपी यहां सामाजिक-राजनीतिक गठजोड़ बनाकर उभरने के मूड में है. हालांकि दोनों ही दलों के साथ बीजेपी के हालिया रिश्ते मधुर दिखते हैं. जब एम करुणानिधि बीमार थे, तब पीएम मोदी उनको देखने गए थे. करुणानिधि के निधन के बाद भी उनको श्रद्धांजलि देने गए थे. इसी तरह अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन और सांसद के कनिमोझी दिल्ली में उनको श्रद्धांजलि देने आए थे. इन सबके सियासी संकेत निकाले जा रहे हैं.
केरल और तेलंगाना
केरल विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने अपने वोट शेयर को तो बढ़ाया लेकिन कोई बड़ा चुनावी परिणाम हासिल नहीं कर सकी. उसके बाद हालिया बाढ़ की पृष्ठभूमि में उपजे सियासी विवाद के कारण बीजेपी की स्थिति बहुत सुदृढ़ तो नहीं दिखती लेकिन पार्टी का मानना है कि इन तात्कालिक घटनाओं का पार्टी की भविष्य की रणनीति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. इसी तरह तेलंगाना को लेकर भी बीजेपी अभी अनिश्चय की स्थिति में है लेकिन पार्टी का दावा है कि वह के चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ टीआरएस का विकल्प बनकर उभरेगी. हालांकि हालिया राज्यसभा उपसभापति चुनाव के बाद बीजेपी के साथ टीआरएस के रिश्तों में गर्मजोशी देखने को मिली है. इसी तरह ओडिशा के मुख्यमंत्री और बीजेडी नेता नवीन पटनायक ने भी राज्यसभा उपसभापति चुनाव में एनडीए का साथ देकर नए किस्म के सियासी संकेत दिए हैं.