शनि प्रदोष व्रत 24 मई को करें शनि देव की आराधना, दूर होंगे जीवन के कष्ट और ग्रह बाधाएं

शनि प्रदोष व्रत 24 मई को करें शनि देव की आराधना, दूर होंगे जीवन के कष्ट और ग्रह बाधाएं
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हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है, और जब यह व्रत शनिवार के दिन आता है, तो इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस वर्ष यह पावन व्रत 24 मई 2025, शनिवार को पड़ रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह दिन भगवान शिव के साथ-साथ शनि देव की विशेष कृपा प्राप्त करने का उत्तम अवसर है। माना जाता है कि इस दिन श्रद्धापूर्वक व्रत रखने और पूजा-अर्चना करने से जीवन में चल रहे शनि दोष, साढ़ेसाती और ढैय्या जैसे कष्टों से मुक्ति मिलती है।

शनि प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व और आध्यात्मिक लाभ

शनि प्रदोष व्रत का संबंध त्रयोदशी तिथि से होता है, जो हर पक्ष की तेरहवीं तिथि को आती है। जब यह तिथि शनिवार को आती है, तो इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव और शनि देव दोनों की पूजा करने से व्यक्ति के पूर्वजन्म के पाप भी नष्ट हो सकते हैं। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी माना गया है जो अपने जीवन में शनि की महादशा, साढ़ेसाती या किसी भी ग्रह बाधा से परेशान हैं। शनि प्रदोष व्रत से व्यक्ति की आयु, आरोग्य और आत्मबल में वृद्धि होती है।

पूजा विधि और व्रत की संपूर्ण प्रक्रिया

शनि प्रदोष व्रत के दिन व्रती को सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करना चाहिए। पूरे दिन उपवास रखा जाता है और सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, अक्षत, धतूरा, शहद और गंगाजल अर्पित किया जाता है। साथ ही, शनि देव के निमित्त सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। काली वस्तुओं का दान करना जैसे काली उड़द, तिल, काले कपड़े आदि इस दिन विशेष पुण्यदायी माना जाता है।

पूजा के समय "ॐ नमः शिवाय" और "ॐ शं शनैश्चराय नमः" मंत्रों का जाप करें। यदि घर में शिव-पार्वती और शनिदेव की प्रतिमा या चित्र उपलब्ध हों, तो उन पर चंदन, फूल, धूप-दीप से आरती करें। पूजा के पश्चात जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र का दान करें, जिससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।

क्या न करें शनि प्रदोष व्रत के दिन?

इस दिन क्रोध, असत्य भाषण, मांस-मदिरा का सेवन और कटु वाणी से बचना चाहिए। घर में शुद्धता और शांत वातावरण बनाए रखें। व्रत को ईमानदारी और श्रद्धा से करने पर ही इसका संपूर्ण लाभ मिलता है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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