श्रीमद्भागवत कथा मे श्रद्धालुओं को मिला शिशुपाल वध और सुदामा मिलन में भक्ति और मोक्ष का संदेश

पंडित श्रीकांत मिश्रा बोले – "श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि और चेतना के जागरण की प्रक्रिया है। इसके माध्यम से जन्म-जन्मांतर के पापों का अंत होता है और जीव का संबंध परमात्मा से सुदृढ़ बनता है।

श्रीमद्भागवत कथा मे श्रद्धालुओं को मिला शिशुपाल वध और सुदामा मिलन में भक्ति और मोक्ष का संदेश
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चौबेपुर, वाराणसी: सनशाइन पब्लिक स्कूल व सनशाइन आईटीआई प्रबंधन के सौजन्य से क्षेत्र में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिवस, मंगलवार को, दिव्यता और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। कथा के प्रमुख प्रसंग, शिशुपाल वध और सुदामा-श्रीकृष्ण मिलन ने श्रोताओं के अंतर्मन को गहराई से स्पर्श किया। इन प्रसंगों ने न केवल भावनात्मक तरंगों को जन्म दिया, बल्कि आत्मा को प्रभु से जोड़ने का गूढ़ अनुभव भी प्रदान किया। कथा व्यास पंडित विष्णुकांत शास्त्री ने शिशुपाल वध का आध्यात्मिक विश्लेषण करते हुए कहा कि शिशुपाल जीवनभर श्रीकृष्ण का विरोध करता रहा, परंतु अंत में वही विरोध उसका मोक्ष का कारण बना। उन्होंने कहा कि भगवान से विरोध भी एक प्रकार का संबंध होता है, और जब समय आता है, तो प्रभु उस संबंध को भी मुक्ति का माध्यम बना देते हैं। वहीं, बुधवार को भजन संध्या एवं भंडारे का आयोजन हुआ, जिसमें क्षेत्रवासियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, और वातावरण भक्ति व समरसता से ओतप्रोत हो गया।




कथा का अगला प्रसंग, सुदामा और श्रीकृष्ण का मिलन, जैसे ही आरंभ हुआ, पूरा पंडाल भावविभोर हो उठा। जब श्रीकृष्ण ने निर्धन सुदामा के चरणों को धोया, तो वह दृश्य प्रेम की पराकाष्ठा और सच्ची मित्रता का प्रतीक बन गया। बिना एक शब्द कहे श्रीकृष्ण ने अपने बालसखा के आत्मसम्मान की रक्षा की और उसकी दरिद्रता को हर लिया। यह प्रसंग दर्शाता है कि भगवान अपने भक्तों के प्रेम को कैसे पहचानते हैं और उन्हें समर्पण के बदले संपूर्ण सम्मान और समृद्धि प्रदान करते हैं।





बुधवार को भजन संध्या के अवसर पर पधारे काशी विश्वनाथ धाम के मुख्य अर्चक पंडित श्रीकांत मिश्रा विशेष रूप से कथा में सम्मिलित हुए और उन्होंने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा, “श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि और चेतना के जागरण की प्रक्रिया है। इसके माध्यम से जन्म-जन्मांतर के पापों का अंत होता है, और जीव का संबंध परमात्मा से सुदृढ़ बनता है।” उन्होंने कहा कि तिवारी परिवार द्वारा आयोजित यह कथा क्षेत्र के लिए एक आध्यात्मिक वरदान सिद्ध होगी और लोगों के जीवन में भक्ति और शांति का संचार करेगी।

कथा के उपरांत आयोजित हवन में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने आहुतियाँ अर्पित कीं और सुख, शांति तथा समृद्धि की कामना की। उसके पश्चात भंडारे में उपस्थित भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। रात्रि में भजन संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें “श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम” और “गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो” जैसे भक्तिगीतों ने समस्त वातावरण को भक्ति की भावना में डुबो दिया। श्रद्धालुओं ने दीप प्रज्वलित कर प्रभु के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट की।

इस विशेष आयोजन में अनेक गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति ने कार्यक्रम की गरिमा को और भी बढ़ा दिया। इनमें केंद्रीय मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय, विधान परिषद सदस्य बृजेश सिंह, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे, पूर्व न्यायाधीश अजीत कुमार तिवारी, अरुण कुमार तिवारी, जिला पंचायत सदस्य अंजनी नंदन पांडेय, रवि तिवारी, धर्मेंद्र तिवारी, अपूर्व कुमार तिवारी, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रामप्रकाश दूबे, उमेश पाठक, हीरा जायसवाल, पंकज तिवारी, पवन चौबे, मुक्ति नारायण मौर्य, शिवम चतुर्वेदी, राजू सेठ सहित अनेक प्रमुख व्यक्ति शामिल रहे।

आयोजनकर्ता सनशाइन पब्लिक स्कूल व सनशाइन आईटीआई के डायरेक्टर चंद्रशेखर तिवारी ‘मून बाबू’ ने कहा कि यह आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि ईश्वर को अनुभव करने की एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस आयोजन से क्षेत्र में भक्ति, समरसता और आत्मिक ऊर्जा का सशक्त संचार होगा।

कथा के सप्तम दिवस की दिव्यता, भावनात्मक गहराई और भक्ति से ओतप्रोत वातावरण ने उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रभु से एक गहन संबंध और मोक्ष की ओर अग्रसर आध्यात्मिक अनुभूति प्रदान की।

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