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क्या है डिमांड ड्राफ्ट, जानिये अलग-अलग बैंकों में ग्राहकों को देना पड़ता है कितना चार्ज

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डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) कैशलेस ट्रांजेक्शन का एक माध्यम है। इसे किसी भी बैंक से बनवाया जा सकता है। डीडी जिस व्यक्ति के नाम पर बनाया जाता है उसी के अकाउंट में यह ट्रांसफर होता है। डीडी की एक और खास बात यह है कि डीडी बनवाने वाले का उस बैंक में अकाउंट होना जरूरी नहीं है। यह चेक से काफी अलग है। डीडी केवल बैंक अकाउंट में ही भुगतान योग्य होता है। जिसके नाम पर डीडी बनाया गया होता है केवल वही इसे अपने अकाउंस से कैश करवा सकता है।

साथ ही डिमांड ड्राफ्ट में कोई हिडन चार्जेस नहीं होते। हालांकि, हर बैंक में डीडी चार्जेस अलग-अलग होते हैं। यह बैंक और डीडी की रकम के आधार पर निर्भर करता है। देश के अधिकतर बैंक 10 हजार रुपये के डिमांड ड्राफ्ट पर 25 से 50 रुपये तक की फीस लेते हैं। आइये देखते हैं अलग-अलग बैंकों के डीडी चार्ज

जानिये डीडी के बारे में कुछ और खास बातें-

- डीडी का अमाउंट इनकैश करवाने के लिए डीडी बनवाए जाने का कारण बताना होता है। या इससे जुड़े डॉक्युमेंट्स बैंक को दिखाने पड़ते हैं। इसके बाद बैंक डीडी का अमाउंट इनकैश करता है।

कई बार बैंक अकाउंट में पर्याप्त रकम नहीं होने पर बाउंस हो जाता है। वहीं डीडी के मामले में ऐसा नहीं होता। डीडी बनवाने वाला व्‍यक्ति पहले ही पेमेंट कर चुका होता है इसलिए डीडी कभी बाउंस नहीं होता।

- चेक खोने पर उसके गलत इस्तेमाल होने की आशंका बनी रहती है। कोई भी इसे इनकैश करवा सकता है, लेकिन डीडी के मामले में ऐसा नहीं होता। अगर डीडी खो जाता है तो इसे कैंसिल किया जा सकता है। वहीं केवल यह अकाउंट में ही इनकैश किया जा सकता है इसलिए इसके खोने पर इसके गलत इस्तेमाल होने का खतरा नहीं रहता।

चेक बनवाने के लिए संबंधित बैंक में अकाउंट होना जरूरी होता है, जबकि डीडी के मामले में ऐसा नहीं होता। जिस बैंक में आपका अकाउंट नहीं है आप वहां भी इसे बनवा सकते हैं।

- आरबीआई के नए नियमों के मुताबिक, 15 सितंबर से डीडी पर बायर का नाम लिखना जरूरी हो गया है। इसके बाद यह पहले से ज्यादा सुरक्षित हो गया है। आरबीआई के इस कदम का मकसद मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना है।

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