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बीजेपी महासचिव जेल से छूटे

बीजेपी महासचिव जेल से छूटे

केरल हाईकोर्ट ने बीजेपी नेता...Editor

केरल हाईकोर्ट ने बीजेपी नेता के. सुरेंद्रन को जमानत दे दी है. शनिवार को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पीएस श्रीधरन पिल्लई समेत कई नेता पूजाप्पुरा जेल के बाहर सुरेंदरन का स्वागत करने पहुंचे. इस दौरान पिल्लई ने कहा कि यह सीपीआई के लिए बड़ा झटका है.

केरल बीजेपी अध्यक्ष पीएस श्रीधरन पिल्लई ने कहा, केरल में हर कानून पालन करने वाले लोग सुरेंद्रन की रिहाई का स्वागत करते हैं. अब सुरेंद्रन और उनकी पार्टी अधिक मजबूत हैं और हम यह लड़ाई ज्यादा ताकत से लड़ेंगे. यह सीपीआई (एम) और नास्तिक लोगों के लिए एक झटका है.

20 दिन की जेल

बीजेपी के महासचिव को पुलिस घेरा तोड़ने के आरोप में 17 नवंबर को पंबा शहर से हिरासत में लिया गया था, बाद में उन्हें 20 दिनों के लिए पूजाप्पुरा जेल भेज दिया गया, क्योंकि पुलिस ने अलग-अलग अपराधों के लिए उनके खिलाफ 15 अन्य मामलों को फिर से खोल दिया था जिसमें उनके आठ गिरफ्तारी वारंट लंबित थे.

2 लाख रुपए का मुचलका

सुरेंद्रन जिन्हें पहले ही सभी अन्य मामलों में जमानत मिल गई थी, उन्हें शुक्रवार को महिला पर हमले के मामले में भी जमानत मिल गई, जिससे उन्हें जेल से बाहर आने में मदद मिली. अदालत ने उन्हें 52 वर्षीया महिला पर हमले के मामले में दो लाख रुपये मुचलका देने के लिए भी कहा, जो अपने एक रिश्तेदार के साथ एक धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेने के लिए सबरीमाला मंदिर गई थी.

'मैं अपराधी नहीं हूं'

न्यायिक हिरासत में भेजे जाने से पहले सुरेंद्रन ने कहा था, "पुलिस ने मुझे गैर-जमानती धाराओं में गिरफ्तार किया गया. मैं कोई अपराधी नहीं हूं और न ही मेरे खिलाफ कोई मामला है. उन्होंने मुझे सोने नहीं दिया और न ही मुझे पानी पीने और दवाई खाने की अनुमति दी." उन्होंने कहा, "पुलिस ने मेरी इरुमुदी केट्टू का भी अपमान किया (एक पवित्र पोटली होती है जिसे सबरीमाला जाने वाले श्रद्धालुओं को अपने साथ अनिवार्य रूप से ले जाना होता है)."

सुरेंद्रन ने इस बर्ताव को जंगल राज बताते हुए मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की भी आलोचना की. बता दें कि गिरफ्तारी के विरोध में बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने सुबह 10 बजे से राज्य भर के यातायात को बाधित कर दिया था.

क्या है मामला

बता दें कि सबरीमाला नगर में 28 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के आने के बाद से बार-बार विरोध प्रदर्शन हो रहा है, जिसके तहत अदालत ने मंदिर में 10 वर्ष से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को हटाते हुए हर आयु की महिला को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दे दी थी. मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की अगुआई वाली वाम लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने की कोशिश कर रही है, जबकि कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी और कई हिंदू समूह इसके खिलाफ हैं.

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