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भारत की राजदूत रही महिला ने ISI को Email से भेजी खास जानकारी, अब पहुंची सलाखों के पीछे

भारत की राजदूत रही महिला ने ISI को Email से भेजी खास जानकारी, अब पहुंची सलाखों के पीछे

दिल्ली की एक अदालत ने...Editor

दिल्ली की एक अदालत ने इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग में सेवा दे चुकीं पूर्व राजदूत माधुरी गुप्ता को जासूसी के जुर्म में शनिवार (19 मआ) को तीन वर्ष जेल की सजा सुनायी. अदालत ने माधुरी गुप्ता को पाकिस्तान की आईएसआई को संवेदनशील सूचनाएं देने के जुर्म में दोषी करार देते हुए कहा कि उनके कृत्यों से ''सुरक्षा को गंभीर खतरा'' पैदा हुआ. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सिद्धार्थ शर्मा ने पूर्व राजदूत को जासूसी के अपराध एवं कानून के तहत संरक्षित सूचना को गलत तरीके से भेजने के लिये अधिकतम सजा सुनायी और टिप्पणी की कि उनकी तरह शिक्षित महिला के साथ नरमी नहीं बरती जा सकती.


61 वर्षीय माधुरी उच्चायोग में 2007 से 22 अप्रैल 2010 को गिरफ्तार होने तक (प्रेस एवं सूचना) द्वितीय सचिव थीं. उन्हें 18 मई को सरकारी गोपनीयता (ओएस) अधिनियम के विभिन्न प्रावाधानों के तहत दोषी ठहराया गया. सजा सुनाने के बाद अदालत ने माधुरी को जमानत देते हुए उसे दोषी ठहराने और सजा के खिलाफ अपील करने के लिए जमानत दे दी. भारतीय खुफिया एजेंसियों को संदेह था कि वह 2008 से पाकिस्तान की इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस के लिए जासूसी करती थी.

अक्टूबर 2009 से अप्रैल 2010 तक ISI को भेजी जानकारी

अभियोजन ने कहा था कि उसने आईएसआई के जासूसों को अक्टूबर 2009 से अप्रैल 2010 तक अपने ई-मेल अकाउंट से सूचनाएं भेजीं. अदालत ने कहा, ''नि:संदेह उनके जैसे व्यक्तित्व से उम्मीद की जाती है कि वह सामान्य नागरिक की तुलना में ज्यादा जवाबदेही के साथ काम करेगी क्योंकि वह उच्च पद पर आसीन है, लेकिन उसके कृत्य से देश की छवि खराब हुई और देश की सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हुआ.''

सरकारी गोपनीयता कानून की धारा 3 और 5 के तहत दोषी
अदालत ने कहा, ''इसलिए वह सजा में नरमी पाने की हकदार नहीं हैं.'' उसे दोषी ठहराते हुए अदालत ने कहा था कि ''आरोपी द्वारा ई-मेल से साझा की गई सूचनाएं काफी संवेदनशील थीं जो दुश्मन देश के लिए उपयोगी हो सकती थीं... और इसकी गोपनीयता का काफी महत्व था.'' माधुरी को सरकारी गोपनीयता कानून की धारा तीन और पांच के तहत दोषी ठहराया गया जिसमें अधिकतम तीन वर्ष की कैद और जुर्माना या दोनों हो सकता है. उन्होंने इस आधार पर अदालत से नरमी बरतने की अपील की थी कि वह वरिष्ठ नागरिक है, अकेली महिला है और परिस्थितियों की शिकार है.

22 अप्रैल 2010 में दिल्ली पुलिस ने किया था गिरफ्तार
लोक अभियोजक इरफान अहमद ने उसके हलफनामे का विरोध करते हुए कहा कि वह शिक्षित महिला है और महत्वपूर्ण पद पर रही है और उसके जैसे व्यक्ति से इस तरह की गतिविधियों में संलिप्तता की उम्मीद नहीं की जा सकती. पाकिस्तानी अधिकारियों को कथित रूप से संवेदनशील सूचना देने और आईएसआई के दो अधिकारियों मुबशर रजा राणा एवं जमशेद के संपर्क में रहने के आरोप में उसे 22 अप्रैल 2010 को दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने गिरफ्तार किया था

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