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जानिए, खरमास शुभ कार्यों के लिए क्यों माना जाता है अशुभ मास

जानिए, खरमास शुभ कार्यों के लिए क्यों माना जाता है अशुभ मास

खरमास हिंदू पंचांग के अनुसार...PS

खरमास हिंदू पंचांग के अनुसार पौष मास को कहा जाता है। इस दौरान सूर्य धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दौरान सूर्य की गति धीमी हो जाती है और उनका प्रभाव कमजोर हो जाता है। यही कारण है कि खरमास को अशुभ मास माना जाता है और इस दौरान किसी भी तरह के मांगलिक कार्यों को करना वर्जित माना जाता है।


खरमास में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण आदि जैसे सभी मांगलिक कार्यों को स्थगित कर दिया जाता है। इस दौरान केवल पूजा-पाठ, दान-पुण्य, और भगवान की आराधना ही करना शुभ माना जाता है।



खरमास के महीने में भगवान सूर्य की पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दौरान सूर्य देव को अर्घ्य देना, उन्हें जल चढ़ाना, और व्रत रखना विशेष लाभदायक होता है। इसके अलावा, इस महीने में भगवान विष्णु, भगवान शिव, और माता लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है।


पुराणों के अनुसार, एक बार सूर्य देव अपने सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर ब्रह्मांड की परिक्रमा कर रहे थे। रास्ते में उन्हें एक तालाब दिखाई दिया। तब घोड़े थक गए थे और प्यास से व्याकुल हो रहे थे। सूर्य देव ने घोड़ों को आराम देने के लिए उन्हें खोल दिया और दो खर यानी गधों को अपने रथ में बाँध लिया। लेकिन खरों की गति धीमी होने के कारण रथ की गति भी धीमी हो गई। इस कारण सूर्य देव को पौष मास में एक महीने के लिए अपने कार्यों को रोकना पड़ा। इसी कारण इस महीने को खरमास कहा जाता है।



खरमास एक ऐसा महीना है जब सूर्य की गति धीमी हो जाती है और उनका प्रभाव कमजोर हो जाता है। यही कारण है कि इस दौरान किसी भी तरह के मांगलिक कार्यों को करना वर्जित माना जाता है। हालांकि, इस महीने में पूजा-पाठ, दान-पुण्य, और भगवान की आराधना करना बहुत ही शुभ माना जाता है।

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