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जीएसटी फ्रॉड: 1000 करोड़ तक पहुंचेगा फर्जी बिलों का मामला, कोलकाता की बोगस कंपनियों से जुड़े हैं तार

जीएसटी फ्रॉड: 1000 करोड़ तक पहुंचेगा फर्जी बिलों का मामला, कोलकाता की बोगस कंपनियों से जुड़े हैं तार

फर्जी फर्में और कंपनियां बनाकर...Editor

फर्जी फर्में और कंपनियां बनाकर करोड़ों के मालिक हुए मनोज कुमार जैन और चंद्र प्रकाश तायल के तार कोलकाता की बोगस कंपनियों से भी हैं। कोलकाता में बनी ऐसी कंपनियों के मालिक कानपुर के कुछ बड़े उद्योगपति हैं। जीएसटी इंटेलिजेंस की टीम ऐसी कंपनियों और कारोबारियों का ब्यौरा जुटा रही है। माना जा रहा है आने वाले दिनों में कुछ बडे़ नाम सामने आएंगे। विभागीय सूत्र बताते हैं कि फर्जी बिलों का मामला 1000 करोड़ का आंकड़ा पार कर सकता है। इसकी गहराई से जांच की जा रही है।

डायरेक्टर जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस (डीजीजीएसटीआई) लखनऊ की टीम ने शहर में फर्जी फर्में और कंपनियां बनाकर करोड़ों रुपये की टैक्स चोरी करने और करवाने के मामले में नयागंज से दो व्यापारियों मनोज कुमार जैन और चंद्र प्रकाश तायल को गिरफ्तार किया था।

इन्होंने अपनी दर्जन भर से अधिक फर्जी कंपनियों के जरिये एक साल में 400 करोड़ रुपये के फर्जी बिल काटे। जो नाम सामने आ रहे हैं उनका कारोबार खंगाला जा रहा है। ट्रांसपोर्ट नगर में भी ऐसी कंपनियों और फर्मों का संजाल फैला हुआ है। कई बड़े ट्रांसपोर्टर इसमें लिप्त हैं।

सराफा, किराना और लोहा व्यापारियों से जुड़े तार

जैन और तायल तो मोहरा

जीएसटीआई के सूत्र बताते हैं कि पकड़े गए व्यापारी मनोज कुमार जैन और चंद्र प्रकाश तायल इस मामले के बड़े आरोपी हैं, लेकिन असली चेहरा नहीं हैं। कानपुर में फर्जी फर्में बनाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लेने, कालाधन सफेद करने का खेल व्यापक पैमाने पर चल रहा है। ऐसी कंपनियों पर कार्रवाई के लिए रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज को लिखा जाएगा। फर्जी कंपनियों के खेल में शहर के कई चार्टर्ड एकाउंटेंट भी शामिल हैं। सबूत हासिल होने पर चार्टर्ड एकाउंटेंट संस्थान को भी लिखा जाएगा।

सराफा, किराना और लोहा व्यापारियों से जुड़े तार

चूंकि नयागंज, बिरहाना रोड, जनरलगंज, घंटाघर, एक्सप्रेस रोड और मेस्टन रोड शहर शहर के थोक बाजार हैं। यहीं पर बड़े डीलरों के प्रतिष्ठान और शोरूम हैं। बताया जाता है कि फर्जी बिलों का खेल यहीं पर ज्यादा होता है। जीएसटी इंटेलिजेंस की जांच में सामने आया है कि सराफा, किराना, कपड़ा और लोहा कारोबारियों को फर्जी बिल जारी किए गए।

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