सरकार की Air India को बेचने की मुहिम को लगा बड़ा झटका, इंडिगो के बाद जेट एयरवेज हुआ बाहर
- In बिजनेस 10 April 2018 3:56 PM IST
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नेशनल कैरियर एयर इंडिया में अपनी 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचने को लेकर के केंद्र सरकार की मुहिम को मंगलवार को बड़ा झटका लगा है। इंडिगो के बाद अब जेट एयरवेज भी इसे खरीदने की रेस से बाहर हो गया है। हालांकि एक स्विस कंपनी SAC ने इसकी बिड में शामिल होने की इच्छा जताई है।
इसलिए हुआ बिड से बाहर
कंपनी के डिप्टी सीईओ अमित अग्रवाल ने कहा कि सरकार का एयर इंडिया को निजी हाथों में बेचना एक बड़ा कदम है और हम इसका स्वागत करते हैं। लेकिन इसको खरीदने के लिए सरकार ने जो शर्ते अपने मेमोरेंडम में रखी हैं उसके हिसाब हम अपने को फिट नहीं पाते हैं और एयर इंडिया को खरीदने की रेस में शामिल नहीं होंगे।
SAC ने दिखाई दिलचस्पी
स्विट्जरलैंड की स्विस एविएशन कंसल्टिंग (एस.ए.सी.) ने एयर इंडिया को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। सरकार 2018 के अंत तक एयर इंडिया को बेचना चाहती है। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार एयर इंडिया में दिलचस्पी दिखाने वाला यह पहला इंटरनेशल एविएशन ग्रुप है लेकिन जानकारों की माने तो हो सकता है कि स्विट्जरलैंड की कम्पनी केवल अपने क्लाइंट्स के लिए संभावनाएं तलाश रही हो।
कर्मचारियों के हितों का रखेंगे ध्यान
केंद्र सरकार ने साफ किया है कि घाटे के चलते बिक रही नेशनल एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया के कर्मचारियों के हितों का पूरी तरह से ध्यान रखा जाएगा। सरकार एयर इंडिया में अपनी 76 फिसदी हिस्सेदारी बेचने जा रही है। नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि इसके लिए ट्रेड यूनियन से बातचीत की जा रही है।
सितंबर तक पूरा होगा सारा प्रोसेस
जयंत सिन्हा ने कहा कि एयर इंडिया को बेचने का पूरा प्रोसेस सितंबर तक पूरा हो जाएगा। उससे पहले ही सरकार इसके कर्मचारियों के लिए पूरी तरह फायदेमंद एक प्लान तैयार किया है। इसके तहत कर्मचारियों को वीआरएस, कंपनी के शेयरों में हिस्सेदारी, रिटायर हो चुके कर्मचारियों को सरकारी खर्चे पर स्वास्थ्य बीमा और पुराने कर्जे का सेटलमेंट शामिल है।
इन संगठनों से सरकार कर रही है बात
डिसइन्वेस्टमेंट प्रोसेस शुरू होने के साथ ही कंपनी विभिन्न कर्मचारी संगठनों से बात शुरू कर रही है। इनमें पायलेट यूनियन, केबिन क्रू यूनियन और इंजीनियर्स यूनियन शामिल हैं। इनसे बातचीत पूरी होने के सरकार यह निर्णय लेगी। हो सकता है कि सरकार कर्मचारियों पर होने वाले खर्चे को पूरी तरह से वहन कर सके।
शेयरों में मिलेगी 24 फीसदी हिस्सेदारी
कर्मचारियों को 24 फीसदी शेयरों में हिस्सेदारी मिलेगी, जो कि सरकार के पास बिकने के बाद बची रहेगी। इससे कर्मचारियों को भी यह लगेगा कि कंपनी उनकी है और वो आगे चलकर भी इसमें सही ढंग से काम करेंगे।
अभी हैं 11 हजार कर्मचारी
एयर इंडिया में फिलहाल 11 हजार से अधिक कर्मचारी काम कर रहे हैं। इनमें से 37.6 फीसदी कर्मचारी अगले 5 सालों में रिटायर हो जाएंगे। इसके साथ ही सरकार कर्मचारियों का पहले से बकाया 1298 करोड़ रुपये भी एयर इंडिया के बिकने से पहले एरियर के तौर पर भुगतान कर देगी।
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