पवित्र पर्व गीता जयंती मनाएं 11 दिसंबर 2024 को, जानें इसका महत्व और व्रत विधि
- In मुख्य समाचार 3 Dec 2024 3:07 PM IST
मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गीता जयंती का पावन पर्व मनाया जाता है। इस दिन को भगवान श्रीकृष्ण द्वारा महाभारत के युद्ध में अर्जुन को गीता का अमृत संदेश देने के रूप में स्मरण किया जाता है। 2024 में यह शुभ दिन 11 दिसंबर को पड़ रहा है। इस तिथि पर मोक्षदा एकादशी व्रत भी रखा जाता है, जिसका विशेष धार्मिक महत्व है। आइए जानते हैं गीता जयंती का महत्व, इससे जुड़ी परंपराएं और इस दिन को कैसे मनाया जाए।
गीता जयंती का धार्मिक महत्व
गीता जयंती केवल एक पर्व नहीं, बल्कि जीवन के गूढ़ सत्य और धर्म के मार्ग को समझने का अवसर है। महाभारत के युद्धक्षेत्र में अर्जुन जब अपने कर्तव्यों को लेकर संशय में थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें गीता का ज्ञान दिया। यह ज्ञान न केवल अर्जुन के लिए बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए एक मार्गदर्शन है।
मोक्ष का मार्ग: गीता जयंती पर गीता का पाठ और मोक्षदा एकादशी व्रत करने से आत्मा शुद्ध होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कर्तव्य का बोध: यह दिन व्यक्ति को अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक करता है और जीवन में धर्म, कर्म और ज्ञान का महत्व समझाता है।
मोक्षदा एकादशी व्रत का महत्व
गीता जयंती के दिन मोक्षदा एकादशी का व्रत किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत के पुण्य से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत हर प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाने वाला और आत्मा को पवित्र करने वाला माना जाता है।
गीता जयंती की पूजा विधि
गीता जयंती के दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा विशेष विधि से की जाती है।
1. स्नान और संकल्प:
प्रातःकाल गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
2. भगवद गीता का पाठ:
इस दिन भगवद गीता का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है।
3. श्रीकृष्ण की पूजा:
भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं और उन्हें तुलसी दल, फल और मिष्ठान अर्पित करें।
4. ध्यान और भजन:
श्रीकृष्ण से संबंधित भजनों का गान करें और ध्यान में लीन हों।
5. दान-पुण्य:
जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करें। यह कर्म गीता जयंती के महत्व को और बढ़ा देता है।
गीता जयंती से जुड़े विशेष संदेश
गीता जयंती हमें यह सिखाती है कि जीवन के हर संकट का समाधान धर्म, ज्ञान और कर्म के माध्यम से संभव है। भगवान श्रीकृष्ण का "निष्काम कर्म" का संदेश हमें अपने कर्तव्यों को बिना फल की चिंता किए निभाने की प्रेरणा देता है।
गीता जयंती पर ध्यान देने योग्य बातें
1. इस दिन गीता के 18 अध्यायों में से किसी एक अध्याय का अध्ययन करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
2. अपने परिवार के साथ भगवद गीता के संदेशों पर चर्चा करें और उन्हें जीवन में उतारने का प्रयास करें।
3. इस दिन अन्न का दान करना और गाय की सेवा करना विशेष फलदायी माना जाता है।
गीता जयंती 2024 का महत्व
2024 में गीता जयंती एक ऐसा अवसर है, जब आप अपने जीवन को नए दृष्टिकोण से देख सकते हैं। यह दिन आत्ममंथन और अपने कर्तव्यों को समझने का दिन है। गीता के ज्ञान को अपनाकर आप अपने जीवन को सकारात्मकता और ऊर्जा से भर सकते हैं।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।