15 दिसंबर को सूर्य देव का बृहस्पति की राशि में प्रवेश, शुरू होगी खरमास की अवधि
- In मुख्य समाचार 13 Dec 2024 11:49 AM IST
15 दिसंबर को सूर्य देव का बृहस्पति की राशि में प्रवेश होने जा रहा है, जिससे इस दिन से खरमास की शुरुआत हो रही है। यह दिन विशेष रूप से "धनु संक्रांति" के रूप में भी जाना जाता है। जब सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं, तो यह संक्रांति मानी जाती है, और इसी के साथ खरमास का समय शुरू होता है।
खरमास का महत्व
हिंदू पंचांग के अनुसार, खरमास का समय विशेष रूप से एक अद्वितीय धार्मिक और ज्योतिषीय अवधि होती है। इस दौरान सूर्य देव की स्थिति के कारण कुछ विशेष कार्यों को न करने की परंपरा रही है। खरमास के दिनों में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, यज्ञ आदि जैसे शुभ कार्यों को टाला जाता है। यह समय विशेष रूप से आत्मा की शांति और साधना के लिए उपयुक्त माना जाता है, जिसमें लोग अधिक से अधिक भक्ति में लीन रहते हैं।
धनु संक्रांति का महत्व
धनु संक्रांति के दिन सूर्य देव जब धनु राशि में प्रवेश करते हैं, तो यह समय पृथ्वी पर सकारात्मक ऊर्जा के संचार का होता है। यह दिन विशेष रूप से पुण्यकारी और फलदायक माना जाता है, क्योंकि सूर्य का यह परिवर्तन शुभता लेकर आता है। इस दिन लोग अपने पापों से मुक्ति के लिए व्रत, ध्यान और पूजा करते हैं। खासकर दक्षिण भारत में इस दिन को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है और इसे सूर्य पूजा का दिन माना जाता है।
खरमास के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
1. शुभ कार्यों में विलंब: खरमास के दौरान किसी भी बड़े शुभ कार्य, जैसे विवाह या गृह प्रवेश, को स्थगित करने की परंपरा है। इसे धर्म के अनुसार उचित नहीं माना जाता।
2. भक्ति और साधना: इस दौरान लोग अधिक से अधिक ध्यान, पूजा और साधना में समय बिताते हैं। यह समय आत्मा की शुद्धि और ईश्वर के समीप जाने का माना जाता है।
3. दान और पुण्य कार्य: खरमास के समय दान का विशेष महत्व है। लोग इस अवधि में अधिक से अधिक दान करते हैं, ताकि उनके पुण्य में वृद्धि हो और वे जीवन में आगे बढ़ सकें।
15 दिसंबर का दिन सूर्य देव के इस गोचर से लेकर आने वाले दिनों में विशेष रूप से भक्ति और साधना का समय होगा। खरमास की इस अवधि में लोग धार्मिक कार्यों पर ध्यान केंद्रित करेंगे और पुण्य की प्राप्ति के लिए प्रयासरत रहेंगे।
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